हिन्दी में बस विभूतियों का जीवन परिचय रह जाएगा दसवीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए..
कुछ दिन पहले एक लेखक संघ की बैठक की रपट पढ़ी,
उसमें जो प्रस्ताव पारित किए गए पढ़ कर मैं दंग रह गया...सोचने लगा
यह लेखकों के हित में काम करने वाला संगठन है या किसी राजनैतिक दल की शाखा..
अंग्रेजी में कहावत है If You Pay Peanuts, You Get Monkeys.
एक प्रकाशक से जब मैंने कुछ साल पहले रायल्टी की बात कही तो उनके चेहरे पर
एक अचरज का भाव आया... जैसे वह शब्द उन्होंने पहली बार सुना हो..
कर दिया ना खेल खराब मैंने बाद में सोचा, अब अगली किताब छापने में अनाकानी यह प्रकाशक करेगा.. और हालत भी ऐसी है ना, पिछले साल दिल्ली में एक गोष्ठी में जाने का अवसर मुझे मिला... वहाँ जो "साहित्यकार" वो या तो विश्वविद्यालय में हिन्दी का प्राध्यापक/ प्राध्यपिका या कोई सरकारी अधिकारी और साहब हर किसी की किताब प्रकाशक के पास लगी हुई है... कुछ कुछ किसी कल्ब जैसा माहौल वहाँ...
और उनके अड़ोसी पड़ोसी तक को पता नहीं कि कोई "साहित्यकार" उनके बीच में हैं...
एक पत्रिका के दफ्तर में यह मुझे एक "सीरियस" साहित्यकार ने गंभीर मुद्रा में चेताया कि देखिए क्या स्थिति है!
..'समाज में (हिन्दी)लेखक की उपस्थिति दर्ज ही नहीं कहीं भी..' फिर हम दोनों एक लंबे
मौन में ठहर गए, फंसे रह जाते उस मूक अंतराल में, पर सौभाग्यवश तभी उनका सहायक कमरे में चाय ले आया.
ऐसा क्यों है कि "सच" को जानकर हमें गुस्सा ही आता है जबकि उसकी तलाश में हम बावले हुए जा रहे हैं.
.. यह भी संभव है कि शायद दसवीं कक्षा की हिन्दी परीक्षाएँ हों ही ना, एक दिन.
"जॉब" के लिए हिन्दी पढ़ना लिखना आवश्यक थोड़े ही है.
वैसे भी ज्यादा सोचने से "हैडएक" हो जाता है.
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8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...

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चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
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1 comment:
सपनों के दुनिया में आपका स्वागत है !
हिन्दी ब्लौग जगत में आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं की कोई व्यक्ति आपको अपने विचार व्यक्त करने से रोक सकेगा.
मेरे अनुसार, लेखकों के लिये, अपने विचार व्यक्त करने के लिये, ब्लौग से अच्छा कोई तरीका हो ही नहीं सकता.
लोगों में हिन्दी ब्लौग जगत की दीवानगी देखने लायक है !
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