अभी एक ब्लाग पढ़ा http://delhiblog.blogspot.com/2006/01/blog-post_27.html पटियाला के एक व्यापारी ने आत्म दाह किया और किसी ने उसे रोकने बचाने की कोशिश नहीं की टेलिविजन कैमरे घटना की फिल्म खींचते रहे पर आग बुझाने की कोशिश किसी ना की और वह मर गया.
इस बात पर मुझे एक बातचीत याद आती है.
कुछ वर्ष पहले मैं नवभारत टाइम्स के संपादकीय कार्यालय में एक पत्रकार मित्र के पास बैठा था, वे कुछ काम में लगे थे उनकी मेज पर इंडिया टुडे का एक अंक पड़ा था उसे मैं उलटने पुलटने लगा दिल्ली के पास हुई एक हवाई दुर्घटना की तस्वीरें उसमें छपी थीं,
उन तस्वीरों को देख कर मैंने अपने मित्र से पूछा, ये क्षोभजनक... दहला देने वाली तस्वीरें इस पत्रिका ने क्यों छापी? उन्होंने एक पल को मेरी ओर देखा और फिर बोले ... "वीभत्स भी तो एक रस है !"
Sunday, January 29, 2006
The Translator : Nothing is Translated in Love and War
8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...

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चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
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