Friday, February 24, 2006

अपने मतलब की बात

दोपहर बरफ गिरती रही धरती को छूते ही विलीन होती रही, फिर सर्द हवा आई और दिन अँधरे में चला गया.
कभी एक सलाह दी जाती थी कभी बोल कर कभी संकेतो से - कि कोई प्रश्न न करो.. अपने मतलब से काम रखो.
आज का अखबार देखा - यह सलाह उसके मुख पृष्ट पर .. पर यह तो वही पढ़ सकते हैं जो अपने मतलब से काम नहीं रखते

Wednesday, February 15, 2006

ढलान पर


कुछ दिनों के पाले के बाद मौसम कुछ सुधरा कि बारिश आ गई, धूप कभी कभी निकल ही आती है
बगीचे की ढलान पर कुछ फूल खिलते हुए दिखे .. वसंत पास ही है

Friday, February 10, 2006

बस एक पल का अंतर

बचपन में यानि कल , हम एक संस्कृत का श्लोक सुना करते थे,
वह हमें समझाने के लिए बताया जाता था अक्सर जब देर से कभी उठने पर तो....

काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|

पर हमने कभी इस ज्ञान का पालन नहीं किया
जिंदगी ही इतनी ज्यादा पसरी हुई है कि इन पाँच नियमों को याद रखने की फुरसत कहाँ,
भूल गए उन्हें इस लिए यह याद है.

आजकल नींद एक बजे के बाद कभी आती है, और सुबह अपने समय पर।
जागने और सोने में जैसे बस एक पल का अंतर, अवगम ।

Thursday, February 09, 2006

पावती


लौटती हुई रचनाएँ
किसे होता है खेद
संपादक को
कवि को ?
शहडोल के शर्मा जी को
परीक्षाओं के कुंजीकारों को
नई सड़क की भीड़ को
किसी अधूरे
बड़बड़ाए वाक्य को
किसे होता है खेद इस चुप्पी में

मुझे कोई खेद नहीं
उन्हें भी कोई खेद नहीं
फिर यह पावती किसके लिए


9.2.2006 © मोहन राणा

सच का हाथ

ये आवाजें
ये खिंचे हुए
उग्र चेहरे
चिल्लाते

मनुष्यता खो चुकी
अपनी ढिबरी मदमस्त अंधकार में
बस टटोलती एक क्रूर धरातल को,
कि एक हाथ बढ़ा कहीं से
जैसे मेरी ओर
आतंक से भीगे पहर में
कविता का स्पर्श,
मैं जागा दुस्वप्न से
आँखें मलता
पर मिटता नहीं कुछ जो देखा



7.2.06 © मोहन राणा

Sunday, February 05, 2006

एक गीत

लोकल सेंसबरी सुपर मार्केट में लाईन लंबी थी रविवार को वह 4.30 बजे ही बंद हो जाता है, मैं सामान को ट्रॉली से निकाल कर काउंटर पर रख ही रहा था कि ...हिन्दी के कुछ शब्द सुनाई दिए
बगल वाली लाइन में दो लड़के एक लड़की के साथ गप कर रहे थे... फिर वह सुरीली आवाज में गाने लगी

राम करे ऐसा हो जाए मेरी निंदिया तोहे मिल जाए

मैं जागूँ तू सो जाए मैं जागूँ तू सो जाए


कुछ समझ नहीं आया दोपहर बाद 4.30 बजे इंग्लैंड के एक प्रांतीय शहर के सुपरमार्केट में वह खुलकर क्यों गाने लगी..
शायद वह गाना मन में आ गया... और उससे रहा नहीं गया.

Saturday, February 04, 2006

सर्दियाँ

जमे हुए पाले में
गलते पतझर को फिर चस्पा दूँगा पेड़ों पर
हवा की सर्द सीत्कार कम हो जाएगी,
जैसे अपने को आश्वस्त करता
पास ही है वसंत
इस प्रतीक्षा में
पिछले कई दिनों से कुछ जमा होता रहा
ले चुका कोई आकार
कोई कारण
कोई प्रश्न
मेरे कंधे पर
मेरे हाथों में
जेब में
कहीं मेरे भीतर
कुछ जिसे छू सकता हूँ
यह वजन अब हर उसांस में धेकलता मुझे नीचे
किसी समतल धरातल की ओर,

4.2.06 © मोहन राणा

Sunday, January 29, 2006

वीभत्स रस

अभी एक ब्लाग पढ़ा http://delhiblog.blogspot.com/2006/01/blog-post_27.html पटियाला के एक व्यापारी ने आत्म दाह किया और किसी ने उसे रोकने बचाने की कोशिश नहीं की टेलिविजन कैमरे घटना की फिल्म खींचते रहे पर आग बुझाने की कोशिश किसी ना की और वह मर गया.
इस बात पर मुझे एक बातचीत याद आती है.
कुछ वर्ष पहले मैं नवभारत टाइम्स के संपादकीय कार्यालय में एक पत्रकार मित्र के पास बैठा था, वे कुछ काम में लगे थे उनकी मेज पर इंडिया टुडे का एक अंक पड़ा था उसे मैं उलटने पुलटने लगा दिल्ली के पास हुई एक हवाई दुर्घटना की तस्वीरें उसमें छपी थीं,
उन तस्वीरों को देख कर मैंने अपने मित्र से पूछा, ये क्षोभजनक... दहला देने वाली तस्वीरें इस पत्रिका ने क्यों छापी? उन्होंने एक पल को मेरी ओर देखा और फिर बोले ... "वीभत्स भी तो एक रस है !"

एक और आयाम


कितने आयाम कि चैन नहीं जिसमें
ली यह सांस करने यह सवाल
कि नहीं करूँगा फिर वही सवाल,
मैं चिड़िया हूँ या पतंग
या दोनों ही हूँ एक साथ
उस आयाम में
ढलती एक शाम

29.1.06 © मोहन राणा



Other dimensions might soon be detected
Jan 27, 2006, 1:02 GMT

IRVINE, CA, United States (UPI) -- Northeastern University and University of California scientists say they might soon have evidence of extra dimensions and other exotic predictions.

Early results from a neutrino detector at the South Pole called AMANDA suggest ghostlike particles from space could serve as probes to a world beyond our familiar three dimensions, the research team says. The evidence, they say, would come from how neutrinos interact with other forms of matter on Earth.

No more than a dozen high-energy neutrinos have been detected so far. However, the current detection rate and energy range indicate AMANDA`s larger successor, called IceCube, now under construction, could provide the first evidence for string theory and other theories that attempt to build upon our current understanding of the universe.

An article describing this work appears in the current issue of Physical Review Letters
related link » http://science.monstersandcritics.com/news/article_1089401.php/Other_dimensions_might_soon_be_detected
related link » http://www.dailytech.com/article.aspx?newsid=504

Sunday, January 22, 2006

कविता


कविता जीवन का क्लोरोफिल*
और जीवन सृष्टि का पत्ता
उलटता पृष्ठ यह सोचकर
कौन सोया है इस वृक्ष की छाया में
किसका यह सपना
जो देखता मैं
उसे अपना समझ कर.

©22.1.06
*(Chlorophyll)

Saturday, January 21, 2006

The Translator : Nothing is Translated in Love and War

  8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...