Monday, March 19, 2007

प्रस्तरो भविता नदी

विष्णुललित जी ने एक श्लोक मेरे संग्रह "पत्थर हो जाएगी नदी" को पढ़ने के उपरांत पांडिचेरी में मुझे लिखकर दिया.

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...