Friday, May 29, 2009

आशा नाम छतरी का


बस इतना और
कि दोपहर की छाया
रात न बन जाय,
हो जाय इंतजार पूरा
दिन के क्षितिज में ही












© मोहन राणा




फोटो - वदालूर में दोपहर-फरवरी 2007

Sunday, May 17, 2009

बारिश



दो दिन से बारिश चल रही है रूक रूककर, हवा भी कभी उसका साथ देने लगती है. कल शाम को एक इंद्रधनुष खिड़की से दिखाई दिया.

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...