Thursday, June 17, 2010

रस्साकशी

सच में कहानी कैसी
जब सच केवल एक याद हो
लगातार भूलती हुई,
और जीता हो कोई उसे अपना समझ कर
किसी आयाम में
एक दिन यह रस्सी का सिरा छूट जाएगा मेरे हाथों से.

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