Monday, February 01, 2016

सौ फूलों को खिलने दो

पर फूलदान में किसको लगाएँ
देवालय में किसको चढ़ायें,
बिल्ली के गले कौन बांधेगा डर के घंटी
कोई नाम सोचते हम हँसते रहेंगे दुस्वपन देखते,
इतिहास अपनी चुप्पी में भी करेगा सवाल
चेतावनियों के कान इतने क्यों बहरे


© मोहन राणा
शेष अनेक (कविता संग्रह) 2016

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