Thursday, January 04, 2024

लिखने एक चिठ्ठी

 मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ

पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में,

पतझर में वे गिरती रहीं

तुम्हें देख मैं ठहर गया 

 (2024)



 

 

 

 

 

 

 

 

 

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...