आता हुआ अतीत,
भविष्य जिसे जीते हुए भी
अभी जानना बाकी है
दरवाजे के परे जिंदगी है,
और अटकल लगी है मन में कि
बाहर या भीतर
इस तरफ या उधर
यह बंद है या खुला !
किसे है प्रतीक्षा वहाँ मेरी
किसकी है प्रतीक्षा मुझे
अभी जानना बाकी है
एक कदम आगे
एक कदम छूटता है पीछे
सच ना चाबी है ना ही ताला
30 मई 2005 © मोहन राणा
Monday, May 30, 2005
The Translator : Nothing is Translated in Love and War
8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...

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चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
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