बहुत दूर तैरती नाव
कोई जहाज
कुछ बहुत दूर तैरता लहरों के पार
आती जो पास मुझे लपकने हर उफान में
जैसे कोई निराशा
लौट जाता समुंदर हार कर किसी और छोर को
दोपहर बाद,
हर दिन मैं ताकता उस बहुत दूर को
देखता जैसे अपने आप को बहुत दूर से
और पहचान नहीं पाता
7.4.2002 सज़िम्ब्रा, पुर्तगाल