Thursday, March 21, 2013
World Poetry day
बस जैसे चलते-चलते कुछ उठा कर साथ लेते ही
बन पड़ती कोई दिशा,
जैसे गिरे हुए पत्ते को उठा कर
कि उसके गिरने से जनमता कोई बीज कहीं
"अर्थ शब्दों में नहीं तुम्हारे भीतर है"
.. out for a walk, I pick something up,
the track appears: just as, when a leaf falls,
a seed somewhere is born out of that falling.
'Not What the Words...'
Translation: Bernard O'Donoghue, Lucy Rosenstein
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth
Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays "Liv...
-
चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
-
Ret Ka Pul | Revised Second Edition | रेत का पुल संशोधित दूसरा संस्करण © 2022 Paperback Publisher ...
No comments:
Post a Comment