Thursday, January 29, 2015

सदस्यता

हर रोज अपनी बेशर्मी में नहाने के बाद भी
धुलती नहीं कायरता उनकी त्वचा से
उनकी ख्याति भी नहीं छुपा पाती उसकी गंध,
जानकर एक नजर पहचान जैसे पुरानी एक स्लाइड
उन्हें याद आया
बोल पड़ते वे प्रशंसा का कोई शब्द
देते कोई रसीदी भूल चूक लेनी देनी निमंत्रण,
लेखक प्रजाति की सदस्यता
अगली बार  बताइयेगा दिल्ली  आने से पहले
कहीं एक कार्यक्रम रख लेंगे,
इस बार भी मैं बिना बताये चला आया
यह जगह मेरा घर है
पर उनके लिए एक पता






© 23.6.2008

No comments:

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...