Friday, August 11, 2017

ब्रांड


दलजीत नागरा की एक किताब का नाम है, ब्रिटिश म्यूज़ियम
फेबर महान कंपनी है । किताबों के बाज़ार में बड़ा नाम
जैसे रेडियो में फिलिप्स जूतों में बाटा
हाथी ब्रांड का आटा
और टाटा के ट्रक चाय और नमक

सड़कों पर नींद भी शायद
निर्जनों में बेहाल एकांत भी किसी का ब्रांड
किसी कवि का लिखा विज्ञापन
शाम की ख़बर की बाइट हो

पर पकौड़े खाने का मन था
नामों के पूरक नाम पर टूट पड़े एक किराने के दुकानदार पर
विकल्प जी अविकल रात दस बजे
उन्हें चाहिये था बेसन पर वहाँ ग्राम फ्लावर बिक रहा था
दुकान शर्मा जी की थी ब्रसेल्स में 
होशियारपुर में उनकी कभी राशन की दुकान भी होती थी
जिसका खाता वे साथ ले आए थे यादाश्त के लिए

हाँ तो कल कि मैट्रौ स्टेशन पर बात रुक गई थी
बड़े दिनों बाद मिले उसने जब कहा था!





- मोहन राणा

© 11 अगस्त 2017

Wednesday, August 09, 2017

सात बज़े का अलार्म

पुरस्कार बँट चुका
बाहर लोग समोसों और चाय पर झोल रहे हैं
पर मैं हॉल में अभी भी बैठा हूँ एक सिकुड़ती मुस्कराहट को चेहरे पर रोक
बिना नब्ज़ पकड़े अपनी धड़कन सुन सकता हूँ यहाँ,
इस आशा में ताकता
खाली मंच  को
वह आए
और इस बार सही सूची पढ़ कर सुनाए
कि रेडियो की आवाज़ ठीक सात बज़े का अलार्म।
ऐसी ही कोई चीज़ मुझे चाहिए
जो बिना चाहे भी उपस्थित हो हमेशा
ना रहे  संताप उस वांछित  के ना होने का

9.8.17
© मोहन राणा

कविता का पाठ । Poetry reading


पिछले महीने इयान वुलफर्ड बाथ एक दोपहर पहुँचे। उस मुलाकात के दौरान उन्होंने
मेरी एक कविता पढ़ी।

During a visit to Bath Ian Woolford reads a poem by Mohan Rana in Hindi.


The Translator : Nothing is Translated in Love and War

  8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...