गौरया
इतना लिखा गया चिड़िया को लेकर हिन्दी में कि
किसी को याद नहींउस चिड़िया का नाम
कि वह विलुप्त हो चुकी,
पर कविता में वह कमज़ोर का हक माँगती रही
रक्त की गोंद से खुंचे शब्दों में जैसे पंख
जो मुंडेरों से गिरते हुए भी सपने देखते हैं उड़ानों की
कि वह विलुप्त हो चुकी,
पर कविता में वह कमज़ोर का हक माँगती रही
रक्त की गोंद से खुंचे शब्दों में जैसे पंख
जो मुंडेरों से गिरते हुए भी सपने देखते हैं उड़ानों की
वे व्यंजक काग़ज़ के शांति दूत मान लिये गए
कवियों को पुरस्कार मिले पर परेशान वे सूचियों में अपने नाम की मिलान ,
बचे खुचे किसी का ध्यान ही नहीं गया
शहर के आकाश पर मंडराती पर किसे चुग गई चील
कवियों को पुरस्कार मिले पर परेशान वे सूचियों में अपने नाम की मिलान ,
बचे खुचे किसी का ध्यान ही नहीं गया
शहर के आकाश पर मंडराती पर किसे चुग गई चील
एक लंबी आवाज़ लेती दोपहर विगत उसांस में ।
20.3.2016 ©