Saturday, November 02, 2019

प्रतिक्रिया

 प्रतिक्रिया

यहाँ जमकर बारिश हो रही है यानि बाहर भीतर धुलाई ,
अच्छे मौसम की आशा में हम कपड़े धोते हैं
 पर समय के निशान शायद प्रकृति भी नहीं मिटा पाती
और वे और गहरे और पक्के होते जाते हैं। 
इन पंक्तियों के संस्‍कारों की संवेदना पुर्नभव हो घनीभूत  होती जाती है
लिखकर धोते धोते उन शब्दों को जो अप्रयास लौटते
सायास भूलने पर भी उन्हीं के सहारे।

©  28.8.16

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...