प्रतिक्रिया
यहाँ जमकर बारिश हो रही है यानि बाहर भीतर धुलाई ,
अच्छे मौसम की आशा में हम कपड़े धोते हैं
पर समय के निशान शायद प्रकृति भी नहीं मिटा पाती
और वे और गहरे और पक्के होते जाते हैं।
इन पंक्तियों के संस्कारों की संवेदना पुर्नभव हो घनीभूत होती जाती है
लिखकर धोते धोते उन शब्दों को जो अप्रयास लौटते
सायास भूलने पर भी उन्हीं के सहारे।
© 28.8.16