Thursday, November 03, 2005

परिधि

क्या अंत का भी कोई आंरभ होता है
जो नहीं होता है कभी उसका भी कोई अंत होता है,
भ्रम को सच मानते

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...