Monday, November 14, 2005

सर्दियाँ









शाम को अचानक आकाश लाल हो उठा उस लालिमा में फंसा पिघलता हुआ चाँद पूर्व दिशा में दिखने लगा. बस जैसे ऐसे ही किसी मौके की प्रतीक्षा में छुपा था वह - अँधकार.

अँधेरा छायाओं से मुक्त हो बड़ी तेजी फैलने लगा, सारा दिन अपने आपको पेड़ों से छुड़ाते कोहरे को भागने का मौका ही नहीं मिला कि अँधरे ने उसका हाथ थाम लिया

ठंड से अकड़ा कोहरा लेता ठिठुरती सांस.

The Translator : Nothing is Translated in Love and War

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