शब्द जीवन को प्रकाशित करते हैं, और मौन हमेशा उपस्थित है
पर्यवेक्षक की तरह...
क्या उनके बिना सुबह संभव है!
शब्द के महत्व को आचार्य दण्डी ने इस प्रकार व्यक्त किया है.
इदम् अन्धं तमः कृत्स्नम् जायेतभुवन त्रयम्।
यदि शब्दाव्हयम् ज्योतिरासंसारं न दीप्यते।।
(काव्यदर्श)
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