Monday, August 18, 2008

त्यागपत्र


जनरल साब जाते हुए चाय तो पीते जाँय
बहुत हो गया भाषण
बेचारा बीबीसी का दुभाषिया भी हकलाने लगा,
बाकी जूठन कल के अखबार के लिए














© मोहन राणा

कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth

Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays  "Liv...