कर दो दान चुराया माल- भला करे भगवान
ना लिखे भी
ना सोचे भी
ना चीख पुकार के भी
नानाविध उपकरण और विधियाँ भी बेकार हैं
उपाय यही इस मन से मोक्ष का
अब खाली दानपात्र में बस बचा मैं ही हूँ
चुराता नहीं जिसे वहाँ से कोई ,
कभी कभी देखना भी जरूरी होता है
आइने को अपने अलावा भी
© मोहन राणा 17.2.10