Tuesday, May 24, 2011

मछली की सांस

क्या अतीत से ही हम पहचनाते हैं भविष्य के वर्तमान को,

आइने भी नहीं कर पाते पुष्टि हमारी शंकाओँ की
हर सुबह किसी रात का सपना ही होती है

गहराई सतहों के उद्वेलन में नहीं होती
पर हमारे पास नहीं मछली की सांस कि वहाँ उतर सकें

Monday, May 09, 2011

भविष्य













कुछ
दिनों में आएगा एक मौसम

इस अक्षांस में

कुछ दिनों में आएगा एक समय,

जिसे याद रखने के लिए भूलना पड़ेगा सबकुछ

क्षणभंगुर भविष्य को जीते,

मैंने अतीत को नहीं देखा है अब तक

29.3.2009

©मोहन राणा

Thursday, May 05, 2011

रेत के पुल पर गिरगिट

सच है क्या - ना दिखे तो भ्रम
दिखे तो संशय होता है खुद पर

नदी पत्थर हो चुकी
रेत के पुल पर गिरगिट
किसी परछाईं के जीवाश्म को देख चौंकता

© मोहन राणा

The Translator : Nothing is Translated in Love and War

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