Thursday, February 16, 2012
















भरोसा होता है तुम्हारी आँखो में अपनी पहचान देख हर सुबह
दाना चुगती रॉबिन रुकती सावधान
खिड़की पर फिर वही आदमी कुछ देखता!

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कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth

Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays  "Liv...