फिलिप्स का रेडियो
उस पर विविध भारती और समाचार सुनते घर पुराना हो गया
उसके साथ ही ऊँची नीची आवाज़ें कमजोर तरंगें
उसके नॉब भी खो गये पिछली सफेदी में
धूप में गरमाये सेल रात के अँधेरे में एकाएक चुप हो जाते हैं
समाचारों के बीच ,
आंइडहोवन* की खुली सड़कों में तेज हवा से बचते शहर के बीच
खड़ी विशाल फिलिप्स कॉर्पोऱेशन की इमारत को देखता,
जेब्राक्रासिंग पे खड़ा सोचता,
क्या यह फिलिप्स रेडियो है !
©
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* हॉलैंड में एक शहर
© मोहन राणा
कविता संग्रह "इस छोर पर "(2003) में संग्रहित
वाणी प्रकाशन, दिल्ली
poem :
Philips Radio / Mohan Rana
Philips Radio
My home grew wizened on its Vivid Bharati
Its highs and lows, the fluctuating waves
Its knob has forsaken us in our last whitewash
Cells heated in the sun turn silent by nightfall
In between the headlines
Cowering from the rough wind in the open streets, at the heart of Eindhoven
I stand near a large building of Philips Corporation
I walk the zebra-crossing ponderingly
Is it our Philips Radio?
Translation from Hindi : Arup K Chatterjee