धन्य धरती है जिसकी करूणा अक्षत
धन्य समुंदर जिसका नमक फीका नहीं होता
धन्य आकाश जो रहता हमेशा मेरे साथ हर जगह दिन रात
धन्य वे बीज जो पतझर को नहीं भूलते
धन्य वे शब्द भूलते नहीं जो चौखट पर कभी बाट लगाते दुख उसकी स्मृति को
धन्य उस विचार पहिये पर टंकी छवियाँ
जो बन जाती टॉकीज़,
आकाशगंगा के छोर चुपचाप परिक्रमा में
धन्य यह सांस
मैं कैसे भूल सकता हूँ घर
और कोने पर धारे का पानी
* पहाडों में किसी-किसी स्थान पर पानी के स्रोत फूट जाते हैं। इनको ही धारे कहा जाता है।
मोहन राणा
© 2014
Wednesday, December 31, 2014
Friday, November 07, 2014
कविता संग्रह - Poetry Collection
Thursday, October 16, 2014
Swindon festival of Poetry : Mohan Rana Poetry reading : पार्क और शाम के समाचार और दुनिया की सबसे ऊँची छत
4 अक्तूबर 2014 को आर्ट सेंटर, स्विंडन में जो क्वैल के साथ कविता पाठ.
Reading poetry with Jo Quail at the event on 4th october 2014, Arts centre, Swindon.
लुइसा डेविसन की समीक्षा
Louisa Davison's chronicle of the event: Swindon festival of Poetry ;
Words and Cello
पार्क और शाम के समाचार और दुनिया की सबसे ऊँची छत
The Evening News and The Roof of the World
Friday, October 03, 2014
Swindon Festival of Poetry
Swindon Festival of Poetry
The Evening News and the Roof of the World
पार्क और शाम के समाचार और दुनिया की सबसे ऊँची छतPoetry readings by Mohan Rana.
A special set of poems in Hindi ; a fusion rendition with Cellist Jo Quail.
4th October 2014, 6pm
Arts Centre, Devizes Road
Swindon SN1 4BJ
Thursday, July 24, 2014
शहमात / Checkmate
शहमात
पलक झपकती
है दोपहर के कोलाहल की शून्यता
में,
एक अदृश्य
सरक कर पास खड़ा हो जाता है
दमसाधे
सेंध लगाता मेरी दुश्चिंताओं
के गर्भगृह में,
कानों पर
हाथ लगाए
मोहरों
को घूरते
मैं उठकर
खड़ा हो जाता हूँ प्यादे को
बिसात पर बढ़ा कर
कहीं निकल
पड़ने यहाँ से दूर,
टटोलते
अपने भीतर कोई शब्द इस बाजी
के लिए
दूर अपने
आप से जिसका कोई नाम ना हो
शब्द जिसकी
मात्रा कभी गलत नहीं
जिसका कोई
दूसरा अर्थ ना हो कभी मेरे और
तुम्हारे लिए
जिसमें
ना उठे कभी हाँ ना का सवाल
खेलघड़ी
में चाभी भरते ना बदलने पड़ें
हमें नियम अपने सम्बधों के
व्याकरण के,
लुढ़के
हुए प्यादे पैदा करते हैं
उम्मीद अपने लिए
बिसात पर
हारी हुई बाजी में,
बचा रहे
एक घर करुणा के लिए शहमात के
बाद भी.
Translation of this Poem in English 'Checkmate' http://visualverse.org/submissions/checkmate/
Monday, May 05, 2014
Poetry Reading in StAnza 2014
Poetry Reading in Stanza festival ( 5 - 9 March 2014) at St Andrews Scotland on 7th March 2014.
http://www.stanzapoetry.org/2014/event.php?event=615
StAnza 2014
Readings / Translated Poets
Border Crossings
Reading: Martin Bates, Mohan RanaThis event took place on Fri 07 March
The Town Hall, Queens Gardens – Supper Room
Mohan Rana reading poems Mohan Rana is the author of seven Hindi poetry collections which have been widely translated, notably in the bilingual chapbook 'Poems', which was released by Poetry Translation Centre London in 2011. Originally from Delhi in India, he has settled in Bath. He will be joined by another much travelled poet, East-Lothian-based poet Martin Bates, whose 2006 pamphlet ‘Exploding Cicadas’ (White Adder) was shortlisted for the Callum Macdonald Memorial Award. Traveling widely as an EFL teacher, Bates edited the anthology ‘Poetry as a Foreign Language’ (White Adder) in 1999.
This event is supported by the United States Embassy, London
Monday, March 24, 2014
नई दिल्ली 22वें विश्व पुस्तक मेले (2014) प्रगति मैदान में कविता पाठ
Poetry Reading at New Delhi 22nd World Book Fair 2014
प्रवासी दुनिया और अक्षरम द्वारा आयोजित 12 वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव के दौरान प्रगति मैदान में पुस्तक मेले के लेखक मंच में प्रवासी कवि सम्मेलन
Mohan Rana : Poetry reading
23rd Feb 2014, Pragati Maidan, New Delhi
Poetry Reading at New Delhi 22nd World Book Fair 2014
प्रवासी दुनिया और अक्षरम द्वारा आयोजित 12 वें अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव के दौरान प्रगति मैदान में पुस्तक मेले के लेखक मंच में प्रवासी कवि सम्मेलन
मोहन राणा - कविता पाठ Mohan Rana- Poetry reading |
मोहन राणा - कविता पाठ Mohan Rana- Poetry reading |
23rd Feb 2014, Pragati Maidan, New Delhi
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