Thursday, September 15, 2016

'शेष अनेक' कविता संग्रह की समीक्षा। A celebration of elemental muse.

निसर्ग प्रेरणांचा उत्सव। A celebration of elemental muse.
'शेष अनेक' की दा.गो.काळे. द्वारा लिखित समीक्षा 'वाटसरू' [1 से 15 सितम्बर 2016 ] अंक में।
Review of 'Shesh Anek' in Watsaru Magazine ( 1-15 sept 2016)
by Damodar Kale.


कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth

Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays  "Liv...