Sunday, January 29, 2006

वीभत्स रस

अभी एक ब्लाग पढ़ा http://delhiblog.blogspot.com/2006/01/blog-post_27.html पटियाला के एक व्यापारी ने आत्म दाह किया और किसी ने उसे रोकने बचाने की कोशिश नहीं की टेलिविजन कैमरे घटना की फिल्म खींचते रहे पर आग बुझाने की कोशिश किसी ना की और वह मर गया.
इस बात पर मुझे एक बातचीत याद आती है.
कुछ वर्ष पहले मैं नवभारत टाइम्स के संपादकीय कार्यालय में एक पत्रकार मित्र के पास बैठा था, वे कुछ काम में लगे थे उनकी मेज पर इंडिया टुडे का एक अंक पड़ा था उसे मैं उलटने पुलटने लगा दिल्ली के पास हुई एक हवाई दुर्घटना की तस्वीरें उसमें छपी थीं,
उन तस्वीरों को देख कर मैंने अपने मित्र से पूछा, ये क्षोभजनक... दहला देने वाली तस्वीरें इस पत्रिका ने क्यों छापी? उन्होंने एक पल को मेरी ओर देखा और फिर बोले ... "वीभत्स भी तो एक रस है !"

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...