Sunday, January 22, 2006

कविता


कविता जीवन का क्लोरोफिल*
और जीवन सृष्टि का पत्ता
उलटता पृष्ठ यह सोचकर
कौन सोया है इस वृक्ष की छाया में
किसका यह सपना
जो देखता मैं
उसे अपना समझ कर.

©22.1.06
*(Chlorophyll)

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...