Saturday, January 21, 2006

गंतव्य



दो रास्ते के पास सूखी नदी को पार करते
पूरी हो गई बस यात्रा
एक तस्वीर मेरी अल्बम में



©21.1.2006 मोहन राणा

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...