Friday, October 27, 2006

क्या होता!


बस चलते चलते आता है,
यही मन में
क्या होता!
सवाल अगर आप न करते

या यह भी समय का किया है
पहले से ही तय

मैंने पानी से लिखा उन्हें
वे बादलों में बदल गए

कहीं दूर की यात्रा पे,

सारा आकाश उनका
सारी धरती उनकी


किसी ने देखा सपना
और मैं कहता उसे अपना जीवन




27.10.06 © मोहन राणा

No comments:

The Translator : Nothing is Translated in Love and War

  8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...