Monday, January 01, 2007

नववर्ष 2007

पहली जनवरी 2007 , सुबह धूप निकली, कुछ देर ही सही, निकली तो, यही सोचते दोपहर हो गई, कि फिर आए बादल और एक मूसलाधार बारिश -

नववर्ष की मंगल कामनाएँ !

1 comment:

Anonymous said...

आपको भी नववर्ष की बधाई मोहन जी।

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...