"पत्थर हो जाएगी नदी" पर एक छोटी टिप्पणी "अमर उजाला " में कुछ दिन पहले छपी, यह पाँचवाँ संग्रह है पर समीक्षक इसे चौथा बता रहा है?! ....क्या यह गिनती का सवाल है ?
तथापि उन्हें किताब अच्छी लगी ऐसा प्रतीत होता है.
http://www.amarujala.com/Aakhar/detail.asp?section_id=11&id=327
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