कितने दिन बाद मिले
यही याद है
बीते कितने दिन इस बीच
बेलें फैली सूखी दीवारों पर
बारिश में बह गईँ
छोड़ कर निशान
तस्वीरें भी पुरानी हो गईं
एकतरफा पहचानते पहचानते
पर सपनों में तुम हमेशा मिली
बीते वहाँ कई दिन
रोशनी और अँधेरा
खुशी की सलवटें
तुम्हारी आवाज वही है
पुकारो तो जरा मेरा नाम
मैं मुड़ कर पहचानना चाहता हूँ
एक अजनबी को बाजार में,
झिझकर माफी माँगता हूँ फिर से
बीते कितने दिन अटैची की तहों में
अतीत को देखूँ तो लगता
अभी तो पहला ही दिन शुरू हुआ
बीतते भविष्य के विस्तार में
हाथों में उछालते कैच करते
गेंद को फेंक देता हूँ उसके भीतर,
याद करते तुम्हें
मैं एक खोई गेंद को खोज रहा हूँ इस ऊँची घास के मैदान में.