सबसे ऊँची छत से क्या बादल दिखाई देते हैं
क्या वहाँ भी होती है बारिश
क्या वहाँ भी बहते हैं पतझर के आँसू गिरती हुई बूँदों में
क्या वहाँ भी होती है दोपहर सुबह और शाम के बीच....
क्या वहाँ दुनिया को बनाने वाला कुम्हार रहता है
मिट्टी की बनी यह दुनिया टूट गई है सबसे ऊँची छत से गिर कर
क्या ठीक कर सकता है वह इसे.
©मोहन राणा
Saturday, November 07, 2009
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The Translator : Nothing is Translated in Love and War
8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...

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चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
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8 Apr 2025 Arup K. Chatterjee Nothing is Translated in Love and War Translation of Mohan Rana’s poem, Prem Au...
4 comments:
"क्या वहाँ भी बहते हैं पतझर के आँसू गिरती हुई बूँदों में "
सुन्दर !!
सबसे ऊंची छत के बारे में इतना सुंदर तो पहली बार पढा .....अद्भुत ..मोहन जी ..बहुत खूब
व़हीं ज्यादा बहते हैं आँसू। बढ़िया अभिव्यक्ति।
nice
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