Wednesday, January 06, 2010

बरफ गिरती रही रातभर


कुछ देर मैं खुश होता हूँ आँखें मूँदे बर्फीले सन्नाटे में
सुनता जैसे कुछ भी नहीं सुनकर

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा..इस बार तो आप हमारी बरफ भी लंदन और यूरोप में उड़ा ले गये. :)

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