हम कितने उथले थे अपनी भावनाओं में
रुक कर नहीं पूछते यह चोट कैसी है तुम्हारे माथे
जिसका घाव आइने में देखता हूँ !
पर कविताएँ मैंने लिखीं
© 8/12/2017
© 8/12/2017 Mohan Rana
Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays "Liv...