Thursday, March 22, 2018

कविताएँ मैंने लिखीं

हम कितने उथले थे अपनी भावनाओं में
रुक कर नहीं पूछते  यह चोट कैसी है तुम्हारे माथे
जिसका घाव आइने में देखता हूँ !
पर  कविताएँ मैंने लिखीं 
© 8/12/2017



















© 8/12/2017 Mohan Rana

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...