कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth
Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays "Liv...
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चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह - मुखौटे में दो चेहरे मोहन राणा © (2022) प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन
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मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में, पतझर में वे गिरती रहीं तुम्हें देख मैं ठहर गया (2024)