Thursday, October 26, 2006
कला दीर्घा की छत और तीसरा आदमी
कल कई मूड एक साथ चल रहे थे और बाहर बारिश, कागजों में कुछ खोजते बीनते एक अप्रकाशित कविता मिल गई और सारा कोलाहल गायब हो गया
कला दीर्घा की छत और तीसरा आदमी
थोड़ी ठंड है यहाँ जनवरी का महीना पर शांत है यह जगह
आओ अंधेरे आकाश को पंखी की तरह ओढ़ लें
कोहरे के सहारे हम चल पड़ें
कुछ देर दो बात ही कर लें समय के तंग रास्ते पर,
बिल्कुल उधर कोने में बांस की परछत्ती सी है मेरी
कुटिया घर की छत पर, उसने अचरज की सांस सी
अनायास दिख जाती हैं ऐसे ही मिलती जुलती चीजें और लोग कभी
सब कुछ मिलता जुलता ही होता है - थोड़ा हेर फेर होता होता है देखने में,
पर हमने कहा नहीं कुछ बना सुने कुछ
कोई तीसरा जो उपस्थित नहीं था कहता रहा अपने जीवन की -
घर के ऊपर घर से अलग वही एक जगह
घर से जुड़ी - मैं लिख रहा हूँ किताब वहाँ, उसने कहा
दिन भर मैं खोजता बीनता उन्हें - उन परित्यक्त शब्दों को जीवन में,
परछत्ती पर जमा होते
मैं रहता हूँ परित्यक्त शब्दों में - परित्यक्त शब्द
बिना तारों का आकाश उनमें, कई मौसम, वे मेरी और तुम्हारी तरह हैं
उनका न पता -ठिकाना, उनकी क्या उर्म है, उनका बस पहचान है , वे इश्तहार में - खोए
चेहरे से हैं.
कभी लगता है जैसे मेरी देह
हवा से भरी हो - वायुमंडल
और मैं दोनों हाथों से बादलों को उसमें ठूंसता हूँ
जैसे तकिये में रूई को...
जैसे कोई सपना हो यह तीसरा आदमी
याद नहीं आती जिसकी कोई पहचान,
मैं एक बूढ़े आदमी को सुन रहा हूँ
कला दीर्घा की छत पर
सीले हुए अँधरे में
केवल देख रहा हूँ अपने को थोड़ी देर पहले.
29.1.97
© मोहन राणा
कला दीर्घा की छत और तीसरा आदमी
थोड़ी ठंड है यहाँ जनवरी का महीना पर शांत है यह जगह
आओ अंधेरे आकाश को पंखी की तरह ओढ़ लें
कोहरे के सहारे हम चल पड़ें
कुछ देर दो बात ही कर लें समय के तंग रास्ते पर,
बिल्कुल उधर कोने में बांस की परछत्ती सी है मेरी
कुटिया घर की छत पर, उसने अचरज की सांस सी
अनायास दिख जाती हैं ऐसे ही मिलती जुलती चीजें और लोग कभी
सब कुछ मिलता जुलता ही होता है - थोड़ा हेर फेर होता होता है देखने में,
पर हमने कहा नहीं कुछ बना सुने कुछ
कोई तीसरा जो उपस्थित नहीं था कहता रहा अपने जीवन की -
घर के ऊपर घर से अलग वही एक जगह
घर से जुड़ी - मैं लिख रहा हूँ किताब वहाँ, उसने कहा
दिन भर मैं खोजता बीनता उन्हें - उन परित्यक्त शब्दों को जीवन में,
परछत्ती पर जमा होते
मैं रहता हूँ परित्यक्त शब्दों में - परित्यक्त शब्द
बिना तारों का आकाश उनमें, कई मौसम, वे मेरी और तुम्हारी तरह हैं
उनका न पता -ठिकाना, उनकी क्या उर्म है, उनका बस पहचान है , वे इश्तहार में - खोए
चेहरे से हैं.
कभी लगता है जैसे मेरी देह
हवा से भरी हो - वायुमंडल
और मैं दोनों हाथों से बादलों को उसमें ठूंसता हूँ
जैसे तकिये में रूई को...
जैसे कोई सपना हो यह तीसरा आदमी
याद नहीं आती जिसकी कोई पहचान,
मैं एक बूढ़े आदमी को सुन रहा हूँ
कला दीर्घा की छत पर
सीले हुए अँधरे में
केवल देख रहा हूँ अपने को थोड़ी देर पहले.
29.1.97
© मोहन राणा
Sunday, October 08, 2006
Monday, September 04, 2006
कल फिर कल
मैं सोया सुबह के लिए
जागा इस पल के लिए,
कुछ लिखा जीवन के लिए
ली एक लंबी सांस
छुआ दूर के दृश्य को
एक बादल रुका धूप घड़ी को देख
क्या
दिन था
या
बीच रात
कल फिर कल
देखा पुरखों के सपने को
वे सोए
और मैं जागा उस नींद में
4.9.2006 © मोहन राणा
Wednesday, August 30, 2006
कुछ पाने की चिंता
अपने ही विचारों में उलझता
यहाँ वहाँ
क्या तुम्हें भी ऐसा अनुभव हुआ कभी,
जो अब याद नहीं
बात किसी अच्छे मूड से हुई थी
कि लगा कोई पंक्ति पूरी होगी
पर्ची के पीछे
उस पल सांस ताजी लगी
और दुनिया नयी,
यह सोचा
और साथ हो गई कुछ पाने की चिंता
मैं धकेलता रहा वह और पास आती गई,
अच्छा विचार मुझे अपने आप से भी नहीं बचा सकता,
उसे खोना चाहता हूँ
नहीं जीना चाहता किसी और का अधूरा सपना
30.8.06 © मोहन राणा
यहाँ वहाँ
क्या तुम्हें भी ऐसा अनुभव हुआ कभी,
जो अब याद नहीं
बात किसी अच्छे मूड से हुई थी
कि लगा कोई पंक्ति पूरी होगी
पर्ची के पीछे
उस पल सांस ताजी लगी
और दुनिया नयी,
यह सोचा
और साथ हो गई कुछ पाने की चिंता
मैं धकेलता रहा वह और पास आती गई,
अच्छा विचार मुझे अपने आप से भी नहीं बचा सकता,
उसे खोना चाहता हूँ
नहीं जीना चाहता किसी और का अधूरा सपना
30.8.06 © मोहन राणा
Sunday, August 13, 2006
अस्मिता
Tuesday, July 25, 2006
सूरजमुखी का अँधेरा
Tuesday, July 11, 2006
किनारा
Friday, June 09, 2006
नाम और अन्य कविताएँ
Tuesday, June 06, 2006
छह जून
आज लगातार धूप का चौथा दिन है, बस बीच में एक दिन थोड़ी बूँदाबांदी हुई शायद कोई भटका हुई मेघदूत अपना संदेश छोड़ गया
पानी की बूँदों को वनस्पतियाँ ही शायद ठीक से पढ़ पाती हैं,
जब से यह दिन यानि 6 जून शुरू हुआ कि रेडियो पर 6.6.6 यानि 666 The Number of the Beast की अटकलें चल पड़ी है http://www.aloha.net/~mikesch/666.htm
पिछले महीने कतार में दुनिया का सबसे महँगा मोबाइल टेलिफोन नंबर 666 6666 £1.5 मिलियन पाउंड का बिका,
..पर कुछ घंटों में 6 जून भी चला जाएगा. मनुष्यों द्वारा बनाए कैलेंडर में एक दिन- एक और दिन
..अफ्रीका में सरदियाँ बिता कर अबाबील http://www.rspb.org.uk/birds/guide/s/swallow/index.asp गरमियाँ बिताने यहाँ पहुँच गई हैं दिन भर वे कहीं चली जाती हैं शाम होते वे लौट आती हैं .. अँधियाते आकाश में तेजी से उड़ती, बल खाती ,चकराती तीखी आवाज में बोलती ..उन्होंने छत में कहीं स्लेटों के बीच
अपने लिए जगह बना ली है पिछले साल की तरह..
पुनश्च : शाम होते होते पता चला कि आज ब्रिटेन के सबसे वृद्ध हेनरी ऑलिंघम का जन्मदिन है उनकी आयु 110 साल है, http://www.guardian.co.uk/military/story/0,,1791596,00.html
पर दुनिया का सबसे वृद्ध (युवा) व्यक्ति बेनीतो र्मातिनेज़ क्यूबा में रहता है http://en.wikipedia.org/wiki/Benito_Martinez
शाम के 9.30 होने को हैं और चिडि़याँ अभी भी बोल रही हैं , रात देर से आती है आजकल
पानी की बूँदों को वनस्पतियाँ ही शायद ठीक से पढ़ पाती हैं,
जब से यह दिन यानि 6 जून शुरू हुआ कि रेडियो पर 6.6.6 यानि 666 The Number of the Beast की अटकलें चल पड़ी है http://www.aloha.net/~mikesch/666.htm
पिछले महीने कतार में दुनिया का सबसे महँगा मोबाइल टेलिफोन नंबर 666 6666 £1.5 मिलियन पाउंड का बिका,
..पर कुछ घंटों में 6 जून भी चला जाएगा. मनुष्यों द्वारा बनाए कैलेंडर में एक दिन- एक और दिन
..अफ्रीका में सरदियाँ बिता कर अबाबील http://www.rspb.org.uk/birds/guide/s/swallow/index.asp गरमियाँ बिताने यहाँ पहुँच गई हैं दिन भर वे कहीं चली जाती हैं शाम होते वे लौट आती हैं .. अँधियाते आकाश में तेजी से उड़ती, बल खाती ,चकराती तीखी आवाज में बोलती ..उन्होंने छत में कहीं स्लेटों के बीच
अपने लिए जगह बना ली है पिछले साल की तरह..
पुनश्च : शाम होते होते पता चला कि आज ब्रिटेन के सबसे वृद्ध हेनरी ऑलिंघम का जन्मदिन है उनकी आयु 110 साल है, http://www.guardian.co.uk/military/story/0,,1791596,00.html
पर दुनिया का सबसे वृद्ध (युवा) व्यक्ति बेनीतो र्मातिनेज़ क्यूबा में रहता है http://en.wikipedia.org/wiki/Benito_Martinez
शाम के 9.30 होने को हैं और चिडि़याँ अभी भी बोल रही हैं , रात देर से आती है आजकल
Friday, May 26, 2006
Saturday, May 20, 2006
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