Thursday, July 23, 2009

चाँद के बाहुपाश में सूरज


: सूरज-चाँद के बिना धरती पर जो जीवन है जिसे हम जीवन कहते हैं वह असंभव है,
दोनों का अदभुद तालमेल है,
उनकी जुगलबंदी में धरती पर जीवन को लय मिलती.



(सूर्यग्रहण
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2 जुलाई
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9 6.26 प्रातः)


आर्यभट्ट (476 ईस्वी) ने सूर्य ग्रहण को लेकर एक श्लोक की रचना की थी-
'छादयति शशि सूर्यं, शशिनं च भूच्छाया'
अर्थात्
सूर्यग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है और चंद्रमा को पृथ्वी की छाया।




What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...