Friday, July 17, 2009

विक्रम सेठ I wish

विक्रम सेठ एक साक्षात्कार में कहते हैं
'I Wish More Writers Would Fight For A Big Advance' Vikram Seth

http://www.outlookindia.com/full.asp?fodname=20090720&fname=AVikram+Seth&sid=1

पर विक्रम अंग्रेजी में लिखते हैं उनका आशय यह आवहन ... ललकार उसी भाषा के लेखकों के लिए होगी ... पर हिन्दी के मसिजीवियों का क्या होगा. बंदर के गले में कौन बिल्ली सौ चूहे खाकर घंटी बाँधेगी.

कागज के जंगलों में कागजी शेरों की दहाड़ या म्याउ
स्याह रिक्तताओं में भटकते
याद दिलाते अपनी ही भूली पहचान ...
अब तो आइने भी महँगे हो चुके हैं

कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है / The poem Chooses Its Own Birth

Year ago I wrote an essay 'कविता अपना जनम ख़ुद तय करती है ' (The poem Chooses Its Own Birth) for an anthology of essays  "Liv...