मेज पर सामान पड़ा है, कतरनें,
पुरानी होती रसीदें और चुपके से जमा होती धूल.
इतने दिन हो गए कि हर रोज.
मैंने डाकिये से कहा होने वाली है बारिश
सड़क के दूसरी ओर ही रहना वरना भीग जाओगे.
अब इस गीली चिठ्ठी को कहाँ रखूँ
© मोहन राणा