Thursday, September 29, 2005

तु्म्हारा नाम

हाँ बारिश सब जगह थी कल, आज कुछ धूप उदासीन, कतराए बादलों में
और अब पतझर धीरे धीरे जैसे कुछ लिखता समय की हथेली पर,