Friday, September 30, 2005

बारिश


पानी की बूँदें ठहर गई गिरते हुए
सीढ़ियों से उतरते मैं रुक गया जैसे
पहली बार मैंने देखा समुंदर को उन बूँदों में,
कोई सीत्कार पतझर की खामोशी में.



©1.10.05

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...