Friday, February 24, 2006

अपने मतलब की बात

दोपहर बरफ गिरती रही धरती को छूते ही विलीन होती रही, फिर सर्द हवा आई और दिन अँधरे में चला गया.
कभी एक सलाह दी जाती थी कभी बोल कर कभी संकेतो से - कि कोई प्रश्न न करो.. अपने मतलब से काम रखो.
आज का अखबार देखा - यह सलाह उसके मुख पृष्ट पर .. पर यह तो वही पढ़ सकते हैं जो अपने मतलब से काम नहीं रखते

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...