Sunday, March 30, 2008

कुछ खटकता तो है


लैटिन में एक वाक्याशं है cui bono "किसका हितलाभ" चाहे तिब्बत का मामला हो या विश्वव्यापी हो या घर पड़ोस का
यह वाक्याशं कोई संकेत तो देता ही है, जब हम उसके कारण को खोजने की कोशिश फुरसत के समय कर रहे होते हैं ....जैसे ब्लाग लिखते हुए. चार एक अखबारों और गूगल को खंगालने के बाद भी.. कुछ खटकता तो है,


दलाई लामा कहते हैं , ल्हासा के उपद्रव में चीनी हाथ है.... पर मीडिया में झाडियों की ओर उन्मुख होकर बचाओ बचाओ का शोर क्यों हो रहा है,
एक तरफ धरती को बचाने की गुहार लगी है दूसरी ओर इन्हीं गुहार लगाने वालों के आसपास ऐसे भी लोग हैं जो अपने धन और विज्ञान का प्रयोग मनुष्य जाति की छँटाई में करते हैं... कुछ कुछ पेड़ पर बैठ कर पेड़ को ही गिराने वाली बात चल रही है पश्चिमी समाजों में.

No comments:

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...