Friday, July 15, 2005

इतना भर

क्या कहूँ नया कि याद
नहीं कहा क्या आखिरी बार,
कहाँ से शुरू करूँ बात

मालूम नहीं कौन सा शब्द
निकले इस अजनबी निकटता में
मुलाकात यह पहचान पुरानी,

जैसे धूप का कोई कतरा
अटका पेड़ की छाल में ,
आज होगी पूरी कि बस
एक आश्वासन



16.7.05 © मोहन राणा

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...