Monday, July 18, 2005

अर्धसत्य



....पर अर्धसत्य - आधा सच आधा झूठ ही तो है. दोनों एक साथ .
एक देह में दो टुकड़े आत्मा - यह बँटवारा
जैसे मुस्कराहट भी भय की पहचान हो



17.7.05 © मोहन राणा

What I Was Not

 Mohan Rana's poems weave a rich tapestry of memory and nostalgia, a journeying through present living. Explore the lyrical beauty of th...