सचमुच रास्ते का कहीं पहुँचने से कोई सम्बंध नहीं - पर चलने से है.
चलती रहती , घिसटती रपटती पंक्चर गाड़ी- अटकती झटकती
चलती बस चलती, पहुँच कहीं दूर वहीं जैसे फिर शुरू करती
सीखती चलना पहचानती सीधे पर अचानक आए मोड़ को,
एक बार यह होना
कभी नहीं जैसे कितनी बार
©14.10.05 मोहन राणा